40 पीर की करामाती मजारें ~धार
धार और मालवा की सबसे पुरानी 40 पीरोंं की मजारें...🕌 कहते है गिनती करने पर मजारें कम~ज्यादा होती हैं ✍️ जावेद शाह खजराना (लेखक) मालवा में इस्लाम कब और कैसे आया? ये खोज का विषय हो सकता है। क्योंकि मालवा की सरजमीं पर काफी कदीम (पुरानी) मजारें हैं । जैसे इंदौर के कड़ावघाट में हजरत मदार शाह रहमतुल्लाह अलैह का चिल्ला। जो करीब 1000 साल से भी ज्यादा पुराना है। ठीक ऐसी ही सबसे पुरानी मजारें हैं मध्यप्रदेश के धार इलाके में जिसे पीराने धार भी कहा जाता है। राजा भोज के जमाने में धार मालवा की राजधानी हुआ करता था जो तुगलक बादशाहों के जमाने यानि सन 1400 ईस्वी तक राजधानी रहा। पुराना धार वर्तमान धार के पश्चिमी~दक्षिण हिस्से में आबाद था। जहां राजा भोज के महल और विश्व प्रसिद्ध जौहरी बाजार आबाद था। आज से करीब 1000 साल पहले इस्लाम फैलाने तबलीगी काफिला जिसमें अल्लाह वालों की तादाद 40 थी धार आया। ये बात शाह अब्दुल्लाह शाह चंगाल सरकार से भी पहले की है। चालीस अफराद रात के अंधेरे में इसी पुराने धार में रुके । जहां राजा भोज के पुराने महल के खंडहरात और सरहदी दिवारे कायम थी। यहां पानी का एक मीठा कुंआ भी है।...