पार्श्वगायक महेंद्र कपूर इंदौर में

चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाए हम दोनों ✍️ जावेद शाह खजराना (लेखक) आज महेंद्र कपूर की 88वी वर्षगाठ है। इसलिए आज मैं महेंद्र कपूर की इंदौर यात्रा के बारे में बताऊंगा। आज से 25 साल पहले की बात है। 22 जून सन 1997 बरोज इतवार की सुबह थी। पार्श्वगायक महेंद्र कपूर अपने बेटे रोहन कपूर के साथ मालवीय नगर रिंगरोड पर एक संगीत एकेडमी का उद्घाटन करने आए थे। सुबह-सुबह मालवीय नगर दरगाह के क़रीब संगीत संस्थान में महेंद्र कपूर को देखने और सुनने वालों की भीड़ थी। गर्मी का मौसम में माहौल में भी गर्मी थी। जानेमाने लीजेंड मेरे फेवरेट सिंगर को देखने मैं भी पहुँच गया। महेंद्र कपूर साहब ने यहां कुछ खास नहीं गाया क्योंकि संगीत का रंगारंग प्रोग्राम तो दोपहर में रवींद्र नाट्यगृह में रखा गया था। रिंगरोड नया-नया बना था। फिर भी भीड़ थी। भीड़भाड़ होने की वजह से मुझे ऑटोग्राफ लेने का कोई मौका नहीं मिला। संगीत एकेडमी के डॉयरेक्टर से मेरी जान-पहचान थी। इसलिए प्रोग्राम में आने-जाने में मुझे कोई रुकावट नहीं थी। ख़ैर दोपहर 1 बजे में रविन्द्र नाट्यगृह में पहले 'आओ-पहले पाओ' की तर्ज पर कुर्सी पर काबिज हो गया। मैंने पहले से ही एक फ़ोटोग्राफ़र को सेट कर लिया था। फ़ोटोग्राफ़र से मैंने बोल दिया था कि- जैसे ही मैं महेंद्र कपूर से आशीर्वाद और ऑटोग्राफ लूं तुरंत फोटो क्लिक कर लेना । मैं कैमरे की तरफ देखूंगा भी नहीं क्योंकि मुझे नेचुरल पोज चाहिए। तिलकपथ के एक पुराने स्टूडियो के ये फ़ोटोग्राफ़र पुराने चावल थे । मैंने जैसे ही महेंद्र कपूर से आशीर्वाद लिया उन्होंने फ्लैश चमका दिया। ऑटोग्राफ वाला पोज भी लाज़वाब रहा। इस तरह उन्होंने 4-5 क्लिक कर दिए।
मुझे ऑटोग्राफ लेते देख दूसरे जन भी आ गए। मेरा स्पेशल ऑटोग्राफ पेन महेंद्र कपूर के पास था। मुझे रोहन कपूर से भी ऑटोग्राफ लेना थे सो उन्होंने मुझे देखकर कहा - चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाए हम दोनों' मैं मुस्कुरा कर पीछे वाली अपनी सीट पर जाकर बैठ गया। वो ऑटोग्राफ देते रहे। फिर मुझे पेन दिया और रोहन कपूर से भी ऑटोग्राफ दिलवाया।

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