क़ुरआन मज़ीद में दर्ज मस्जिदे अक़्सा कौन-सी है?
कुरआन में दर्ज मस्जिदे अक्सा कौन-सी है?
✍ जावेद शाह खजराना (लेखक)
सबसे आसान तरीका समझने का ये है कि
पुराना क़िब्ला उसे कहते है जिसका डायरेक्शन काबा शरीफ की तरफ ना हो।👍
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| मस्जिद-ऐ-अक़्सा का ग्राउंड |
पुराने क़िब्ले की तरफ मुँह करके प्यारे नबी ने 17 महीने नमाज पढ़ाई है । ये मस्जिद इस्लाम की दूसरी पुरानी औऱ मुक़द्दस मस्जिद है जिसका जिक्र क़ुरआन औऱ हदीस में भी है।
आप हजरत उमर रजि0 के द्वारा बनवाई गई मस्जिद जिसे मस्जिदे 'अल अक्सा' कहते है उसके नमाजी रुख को देखे।
इस मस्जिद में नमाज का रुख काबा शरीफ की तरफ ही है वो इसलिए कि ये मस्जिद मेराज़ के 16 साल बाद सन 638 ईस्वी में बनी । 👍
जब इस मस्जिद की तामीर ही मेराज़ के बाद हुई तो ये पुराना क़िब्ला कैसे हुआ?
इस मस्जिद को भी बाद के ख़लीफ़ा ने तोड़कर नई बनाया। फोटो में देखिए दौबारा तामीर का 682 ईस्वी सन भी लिखा है । इसका मतलब हजरत उमर रजि0 के हाथ की तामीर भी अब नहीं रही। ये मस्जिद मस्जिदे अक्सा नहीं बल्कि 'अल-अक्सा' है 🕌 👌
लिहाजा बैतूल मुक़द्दस जिसे Dome of rock कहते है यही क़ुरआन में दर्ज मस्जिदे अक्सा है।
अरबी में अक्सा के मायने दूर' से है।
फोटो में नमाजियों का रुख देखिए वो गुम्बद-ऐ-सखरा की तरफ नहीं है।इसका सीधा सा मतलब यही हमारा पुराना क़िब्ला है।

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