Kya Corona Ki Tisri Lahar Aayegi

 *क्या कोरोना की तीसरी लहर आएगी?* 🤔

*अगर हाँ तो इससे बच्चे क्यों प्रभावित होंगे?*

✍ *जावेद शाह खजराना (लेखक)*


पिछले लॉक डाउन की भयानक तस्वीर हम आज तक भूल नहीं पाए है। नई पीढ़ी ने पहली बार कर्फ्यू जैसे हालात देखे थे। पहली लहर में घर से झांकना भी दूभर था । सड़के बाज़ार सब सुनसान पड़े थे। लोग गली-मोहल्लों में कैद थे। एक तरीके से नजरबंद ही थे हम सभी। 


इलाकों के बाहर गड्ढे खोदकर खाईयां बना दी गई थी ।भारी-भरकम सीमेंट के बेरिकेट्स लगाकर सीमाएं सील कर दी गई थी। गाड़ी-मोटर लेकर निकला मुश्किल था।घूम-घामकर भटकने पर मुश्किलों से बाहर के रस्ते सूझ रहे थे। वैसे भी पिछली लहर में लोग भी आने-जाने से बच रहे थे।


गलती से कोरोना का एक मरीज भी मिल जाता तो वो हफ़्तों सुर्खियों में बना रहता। सोशल मीडिया पर उसकी खैर-ख़बर की पोस्ट दौड़ने लगती।

ये भी दिलचस्प घटना थी कि इंदौर से जब एक कोरोना का मरीज भाग निकला तो पुलिस ने उसे ढूंढ़ने में दिनरात एक कर दिए थे , उसे पकड़कर ही दम लिया था। 

जहाँ से भी कोरोना के मरीजों की सूचना मिलती पूरे घर को उठाकर ले जाते। जैसे वो कोरोना का मरीज ना होकर चंबल के डाकू हो।



 सोशल मीडिया पर भी फोकटी लोगों ने उसके खिलाफ जमकर भड़ास निकाली थी । उस बेचारे को 'कोरोना बम' करार देक फेसबुकियों ने तो एनकांउटर तक की सलाह दे डाली थी। 😃

 मंदिर-मस्जिदो में ताले पड़े थे। 

लोग बातें तो ऐसी कर रहे थे कि जैसे कि लॉक डाउन खुलेगा तो सभी इमानदारी से भक्त बन जायेंगे।


लेकिन जैसे ही हालात सामान्य हुए लोगों को भूलते देर नहीं लगी कि वो कुछ महीनों पहले ही कोरोना जैसी महामारी औऱ लॉक डाउन की डायन से दो-चार हुए थे ।


नतीज़न हम कोरोना की दूसरी लहर की चपेट में आ गए।

तेजी से मौत का ग्राफ भी चढ़ा।

हाहाकार मच गया। जबकि इस बारे में मीडिया औऱ सरकार ने पहले ही चेता दिया था कि अस्पतालों से लेकर दवाई तक में मारामारी मचेगी।

आक्सीजन से लेकर इंजेक्शन तक में काला बाजारी हुई।

अस्पताल वालों ने भी जमकर चांदी कुटी।


लेकिन किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंगी।

रिजल्ट भयानक निकला कोरोना के मरीजों और मृतकों की संख्या में बेतहाशा इजाफा हुआ। 

जवानों से लेकर बुजुर्ग तक इस बीमारी में निपट गए।

धीरे-धीरे अब स्थिति सामान्य हो रही है।

लेकिन क्या हम तीसरी लहर की चेतावनी के बावजूद भी कोई सबक ले पाएंगे या फिर वही ढाक के तीन पात।


अगर, तीसरी लहर आई तो उसकी पहचान कैसे होगी?

वर्तमान में, तीसरी लहर सिर्फ विचाराधीन है। यानि अगर राष्ट्रीय स्तर पर मामलों में एक बार फिर तेजी से उछाल आता है , तो उसे देश में कोरोना की तीसरी लहर माना जाएगा।


सोशल मीडिया पर एक खबर तेजी से वायरल है कि तीसरी लहर बच्चों के लिए खतरनाक होगी। 😭

पहली औऱ दूसरी लहर में बुजुर्गों -अधेड़ों की मौत से लोग इतने जज़्बाती नहीं हुए है । क्योंकि वैसे भी बुजुर्गों की उम्र हो चुकी थी लेकिन मासूम बच्चों की लाशों का बोझ हम क्या झेल पाएंगे?

हरगिज़ नहीं। तीसरी लहर की कल्पना मात्र से रूह कांप उठती है।


अब बात करते है कि इन्होंने कैसे अंदाज लगाया कि तीसरी लहर का प्रकोप बच्चों पर ही होगा?

 अगर पहली लहर से तुलना की जाए तो दूसरी लहर में कोरोना पॉज़िटिव बच्चों का आंकड़ा दोगुना हो गया था। लिहाज़ा इस बात की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता कि कोविड-19 की तीसरी लहर में बच्चों में संक्रमण बढ़ सकता है। 

बस यही रिपोर्ट वो नजरिया भविष्यवाणी बन गई जिससे तीसरी लहर में बच्चों के अधिक संक्रमण का अंदेशा हो रहा है।

लेकिन यहाँ रिपोर्ट वाले ये नहीं बता रहे है कि इन दोनों लहरों में पॉजिटिव होने के बावजूद कितने मासूम बच्चे कोरोना का शिकार हुए।

लगता है ये कालचक्र टिके लगने से शुरू होगा।😅


लेकिन हाल ही में दोबारा उठाए गए आंशिक लॉकडाउन और सख्त कर्फ्यू जैसे कदमों के बाद अब सूरत थोड़ी बदलने लगी है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसा लगता है कि राष्ट्रीय स्तर पर ग्राफ अब गिरावट के दौर में प्रवेश कर गया है। बहुत-से इलाके रेड झोन से ग्रीन में तब्दील हो गए है। 


देश में 06 मई को नए मामलों के चरम पर पहुंचने के बाद, पिछले दो हफ्तों में, दैनिक मामलों की संख्या 4.14 लाख के उच्च स्तर से गिरकर लगभग 2.6 लाख तक आ गई है। जबकि 37.45 लाख के उच्च स्तर को छूने के बाद सक्रिय मामले घटकर 32.25 लाख हो गए हैं। 


अगर मौजूदा रुझान जारी रहता है, तो यह उम्मीद की जाती है कि जुलाई तक, भारत फरवरी में मामलों की संख्या के समान स्तर पर पहुंच जाएगा। लेकिन, दुर्भाग्यवश अगर इसके उलट मामलों में बढ़ोतरी होती है और कुछ हफ्तों या महीनों तक जारी रहता है, तो उसे ही तीसरी लहर कहा जाएगा।  

 

इस साल भी हम फरवरी तक बड़े बेफिक्र थे।

उर्स-मेले और शादी-उत्सवों तक के आयोजन कर डाले थे। मुश्किल लगता है कि लोग सुधरेंगे।


क्या तीसरी लहर खतरनाक होगी?

कोरोना महामारी की तीसरी लहर के दूसरे से भी अधिक तेज यानी खतरनाक होने के बारे में कुछ अटकलें लगाई गई हैं। हालांकि, यह ऐसा कुछ नहीं है जिसकी भविष्यवाणी की जा सकती हो। 

आमतौर पर, यह उम्मीद की जाती है कि हर ताजा लहर पिछली लहर की तुलना में कमजोर होगी। 

ऐसा इसलिए है क्योंकि वायरस, जब उभरता है तो अपेक्षाकृत खुले रूप से फैलता है। यह देखा जाता है कि पूरी आबादी अतिसंवेदनशील है। 


इसके बाद के प्रसार के दौरान, अतिसंवेदनशील लोगों की संभावित संख्या बहुत कम होगी, क्योंकि उनमें से कुछ ने प्रतिरक्षा यानी इम्यूनिटी प्राप्त कर ली होगी। हालांकि, यह तर्क भारत के मामले में थोड़ा उलझन भरा है। पिछले साल मध्य सितंबर के बाद जब भारत में मामलों की संख्या घटने लगी, तो आबादी का बहुत छोटा हिस्सा ही संक्रमित हुआ था। यह देखते हुए कि आबादी का इतना बड़ा हिस्सा अभी भी अतिसंवेदनशील था, इस बीमारी के फैलने की गति धीमी होने का कोई कारण नहीं था। 

  

लेकिन क्या तीसरी लहर अटल है?

कोरोना की तीसरी लहर आने की एक अलग संभावना है। हालांकि, इसके आने की संभावना का पैमाना या समय ऐसा कुछ नहीं है, जिसकी भविष्यवाणी की जा सके। लेकिन यह अपरिहार्य यानी अटल नहीं है। 

अगर लोग मास्क , जरूरी दूरी औऱ दूसरी सावधानियां रखे औऱ इनका सख्ती से पालन करे तो इसे टाला जा सकता है। 


यह भी मुमकिन है कि इस बार, ताजा लहर हकीकतन  पिछले वाले की तुलना में बहुत छोटी हो, ताकि इसका प्रकोप कम हो और अधिक कुशलता से मैनेजमेंट किया जा सके। 

बहुत कुछ इस बात पर डिपेंड करेगा कि लोग इन चेतावनियों पर कैसे ध्यान देते हैं। वे आने वाली मुसीबत को लेकर सजग रहते है , या बार-बार चेतावनी सुनकर भी आदतन खामोश रहते है। 

या फिर - जो होगा देखा जाएगा ' कि तर्ज पर लापरवाह बने रहते है। 

बहरहाल दूसरी लहर ने हमें सिखाया है कि ऐसी मुश्किल घड़ी में आशावान रहने से बेहतर है पागलपन की हद तक होशियार रहे ताकि कोरोना की तीसरी लहर को टाला जा सके।

अल्लाह मुझे औऱ आपको पढ़ने-लिखने से ज्यादा अमल करने की तौफ़ीक़ अता फ़रमाए।

#javedshahkhajrana

#coronavirus

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