डांसिंग गुरु बेग़म अतिया फ़ैज़ी राहमीन
डांसिंग गुरु..🤸
हिंदी सिनेमा को सबसे पहली आयटम गर्ल देने वाली
फ़नकारा बेग़म अतिया फ़ैज़ी राहमीन
✍️ जावेद शाह खजराना (लेखक)
फिल्मों से अगर गीत-संगीत और मचलते डांस को हटा दिया जाए तो #फ़िल्म संसार लगभग बेजान-सा नजर आएगा। गीत-संगीत और #डांस के बगैर फ़िल्म संसार का तसव्वुर बेमानी है। फिल्मों का डांस और #कैबरे देखकर ना जाने कितने लोग थिरके है। डांस बालाओं को देखकर ना जाने कितनों के दिल धड़के हैं।
आज हम दिल को धड़काने वाली इंडियन फिल्मों की ऐसी ही खूबसूरत और सबसे पहली डांसर/आयटम गर्ल और उनकी आला उस्ताद के बारे में जानेंगे जिनके दिवाने #हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि #पाकिस्तान में भी हैं।
उनके कद्रदानों में पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली #जिन्ना से लेकर शिबली नोमानी औऱ #अल्लामा_इक़बाल जैसे आलातरीन नाम भी शरीक हैं।
हिंदी फिल्मों के शौकीन सिर्फ इतना जानते है कि हिंदी फिल्मों की सबसे पहली आयटम गर्ल #हेलन है। जानकार लोग हेलेन को डांस सिखाने वाली उनकी गुरु #कुक्कू_मोरे का नाम ले लेते है। लेकिन जो फिल्मी दुनिया के महाज्ञानी है वो #कुक्कू की भी उस्ताद का नाम बड़े अदब से मेडम अजुरी बताते है। बस इसके आगे वो नहीं के बराबर जानते है।
जी हां दोस्तों #मेडमअजुरी ब्रिटिश इंडिया की सबसे पहली डांसर/आयटम गर्ल थी। जिन्होंने सन 1935 में रिलीज़ #वी0शांताराम की फ़िल्म 'चंद्रसेना' में बहुत बड़े से ड्रम पर शानदार डांस किया था।
क्या आप जानते है?
डांस और कैबरे से हिंदी फिल्मों की दुनिया को परिचय कराने वाली सबसे पहली डांसर मेडम #अजुरी कौन थी?
बैंगलोर में रहने वाली एक ब्राह्मण माँ और
एक #यहूदी डॉक्टर की बेटी थी अजुरी। इनके बचपन का नाम 'आना मेरी ग्वेजलर' था। इन्हें 'अजुरी' नाम खालिदा अदीब खानम ने दिया। जो अजुरी की उस्ताद बेग़म #अतिया_फ़ैज़ी की सहेली थी।
अजुरी यानि खूबसूरत
अब मैं आपको ऐसी हस्ती के बारे में बताऊंगा जो मेडम अजुरी की भी उस्ताद थी। जिन्होंने ना सिर्फ मेडम अजुरी की परवरिश की बल्कि उन्हें इंडियन क्लासिकल डांस जैसे #कत्थक , #मणिपुरी भी सिखाया।
उस हस्ती का नाम सिर्फ गिनती के लोग ही जानते है।
जी हाँ दोस्तों ! 🤔
मेडम अजुरी को डांस सिखाने का श्रेय बेग़म अतिया फ़ैज़ी राहमीन को जाता है। अतिया फ़ैज़ी पाकिस्तान में बहुत ज़हीन और जाना-पहचाना नाम है।
बंटवारे से पहले ये बॉम्बे में रहती थी।
1930 के दशक में बॉम्बे में इनका '3 आर्ट सर्कल' नामी बहुत मक़बूल डांस संस्थान था जहाँ ये अपने शौहर के साथ डांस वगैरह सिखाती थे।
अजुरी के वालिद और वालदा में अनबन होने के बाद
दोनों अलग हो गए। बैंगलोर छौड़ अजुरी के वालिद बॉम्बे आ गए। अजुरी के वालिद जो एक यहूदी थे ।
बॉम्बे में उनके एक यहूदी दोस्त जिनका नाम #सैमुअल_राहमीन था अपनी मुस्लिम बीवी अतिया के साथ रहते थे। राहमीन एक जानेमाने पेंटर , #लेखक और #कोरियोग्राफर थे। #अतिया बेग़म भी जानीमानी लेखिका और #डांसर थी।
चूंकि अतिया फ़ैज़ी के शौहर भी यहूदी थे लिहाज़ा अजुरी के यहूदी वालिद ने अपनी बिटिया को ईस्टर्न डांस और आर्ट सीखने के लिए अतिया और सैमुअल राहमीन के पास छोड़ दिया । यहां रहकर नन्ही अजुरी ने बैले डांस और #पियानो भी सीखा था। अजुरी ने कई फिल्मी डांस भी डिस्कवर किए।
अतिया बेग़म की खोज और शाहकार थी मेडम अजुरी । जिन्होंने हिंदी सिनेमा में डांस और आयटम गर्ल की परंपरा की शुरुआत की। जिसे मेडम अजुरी के बाद कुक्कू ने आगे बढ़ाया और हेलनजी ने आयटम गर्ल और कैबरे को फिल्मों में खास मुकाम दिलाया।
1 अगस्त 1877 में तुर्की के #इस्तांबुल में जन्मी और लंदन में पढ़ी-लिखी अतिया ने ना सिर्फ ओरतों के हक़ के लिए लड़ाई लड़ी बल्कि उन्हें डांस और लेखन के क्षेत्र में भी उतारा। #तुर्की के सुल्तान के यहाँ अतिया के वालिद मुलाज़िम थे। पढ़े-लिखो का खानदान था ।
अतिया फ़ैज़ी वो शख़्सियत है जिसका नाम दक्षिण एशिया से केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से तालीम हासिल करने वाली सबसे पहली महिला के रिकार्डधारी के रूप में भी दर्ज है।
लंदन में पढ़ाई के दौरान उनकी दोस्ती फेमस शायर अल्लामा इक़बाल से हुई। #इक़बाल ने उन पर ढ़ेरों शेर , नज़्म , ख़त और किताब भी लिखी।
अल्लामा इक़बाल की शायरी की धड़कन उनकी हकीकी रुबाई उनकी आशिक़ी और उनकी प्रेरणा भी रही है अतिया। अतिया ने ही इक़बाल से कहा था कि वो #हैदराबाद के #निजाम की नौकरी ना करके आज़ाद होकर लिखे। इस मामले में दोनों की तीखी बहस हुई।
अतिया का कहना था कि निज़ाम हैदराबाद की मुलाज़मत में आप बंध जाओगे अच्छा लिख-सोच नहीं पाओगे।
अतिया की दूरंदेशी को सलाम।
अगर अल्लामा इक़बाल निज़ाम की नौकरी कुबूल कर लेते तो 'सारे जहाँ से अच्छा , हिन्दुस्तां हमारा' नहीं रच पाते।
अतिया फ़ैज़ी राहमीन अपने जमाने की सबसे मार्डन , कला, संगीत, लेखक, शिक्षाविद और दार्शनिक में महारत रखने वाली चोटी की अमीर कलाकार थी।
तुर्की में पैदा हुई अतिया।
जब बॉम्बे शिफ्ट हुई ।
#मोहम्मद_अली_जिन्ना इनके पड़ोसी थे लिहाज़ा इस टेलेंटेड लेखिका के फन के जिन्ना भी शैदाई हो गए।
लेखक #शिबली_नोमानी और अल्लामा इकबाल दोनों से इनके गहरे सम्बंध थे। इनके खतों-किताब पर किताब भी शाया हुई हैं। कहते है इक़बाल ने इनसे शादी भी की लेकिन इस मामले में इक़बाल ने कुछ लिखा नहीं।
सन 1912 में अतिया ने जब एक इजरायली यहूदी कलाकार सैमुअल राहमीन से शादी की।
तब सैमुअल ने इस्लाम कुबूल कर लिया था।
सैमुअल ने इस्लामी नाम राहमीन फ़ैज़ी रख लिया।
राहमीन से शादी के बाद दोनों दुनियाभर की आर्ट गैलरियों का दौरा करने के लिए वापस यूरोप और यूएसए घूमने गए।
सन् 1926 में अलीगढ़ में इन्होंने महिलाओं की आज़ादी को लेकर विवादों से भरी खुली सभा की।
शादी के 20 साल बाद लाहौर में एक मर्तबा अल्लामा इक़बाल से जब अतिया बेग़म की मुलाकात हुई तो उन्होंने एक शेर लिखकर पेश किया। जिसमें उनकी दबी हुई मोहब्बत का अहसास होता है।
'आलमे जोशे जुनू में है रवा क्या-क्या कुछ ,
कहिए क्या हुक्म है दीवाना बनूं या ना बनू' 💖
बहरहाल अपने शौहर के साथ मिलकर अतिया ने पेंटिंग एक्जीबिशन का भी इंतखाब किया। उन्होंने भारतीय इतिहास में महिलाओं के बारे में अपने सफर में एक सभा को भी संबोधित किया । राहमीन के साथ इन्होंने भारतीय संगीत पर एक किताब भी लिखी । सन 1940 के दशक में लंदन में राहमीन दम्पत्ति ने कई नाटकों को कोरियोग्राफ भी किया।
आज़ादी के बाद हुए बंटवारे में पाकिस्तान के कायदे आज़म मोहम्मद अली जिन्ना जो फन और फ़नकारों के भी कद्रदान थे । अतिया के पड़ोसी और दोस्त भी थे।
वो चाहते थे कि पाकिस्तान फ़नकारों से खाली ना रहे इसलिए उन्होंने अतिया बेग़म से गुज़ारिश की -
माय डियर अतिया आप भी पाकिस्तान चलिए।
जिन्ना ने खासतौर पर अतिया से रिक्वेस्ट की
आप पाकिस्तान चलिए ताकि हम रोशन ख़्याल पाकिस्तान बना सके। वहां आप जैसी फ़नकारा की जरूरत है।
अतिया बेग़म ने जिन्ना की बात मान ली।
दौलत-शौहरत सबकुछ छोड़कर नए मुल्क जा बसी।
अतिया अपने शौहर और बहन के साथ पाकिस्तान की हो गई। इनके साथ मेडम अजुरी और उनके शौहर सैयद अलाउद्दीन एहमद ज़िलानी भी पाकिस्तान जा बसे।
जिन्ना ने अतिया बेग़म को काफी सारी जमीन और महलनुमा घर दिया । कुछ अरसे बाद ही जिन्ना साहब चल बसे। पाकिस्तान के नए हुक्मरान नाच-गानों और खुले विचारों के खिलाफ थे लिहाज़ा उन्होंने अतिया बेगम से पाक सरकार (जिन्ना) द्वारा दी गई जमीन वापस छीन ली।
घरबार जब्त होने ।
नाच-गानों पर सख़्ती लगने के बाद दोनों मियां-बीवी सड़क पर आ गए।
पाकिस्तान जाने का ख्याल और जिन्ना की अचानक मौत उनके लिए नुकसानदायक साबित हुई।
मेडम अजुरी की फिल्में भी पाकिस्तान में नहीं चली।
उन्हें भी फिल्में मिलना लगभग बंद हो गई।
1960 में आई फ़िल्म 'बहाना' जो एक भारतीय फिल्म थी। इसकी शूटिंग खत्म करने के बाद मेडम अजुरी ने फिल्मी दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।
बेग़म अतिका फ़ैज़ी जो राजे-रजवाड़ों के साथ उठती-बैठती थी कराची में लोगों के धक्के खाती रही। मुफ़्लिसी में तंगहाल बसर करने लगी। पेंटिंग बेचकर गुज़ारा होने लगा । धीरे-धीरे बचेकुचे जेवरात भी बिक गए।
एक जमाने में अतिया बेगम ने प्यारे नबी की सवाने हयात लिखने के लिए किताबनिगार को 25 हज़ार रुपए अता किए थे । बाद में इन्होंने ऐसा वक्त भी देखा कि सिर्फ 50 रुपए उधार मांगने के लिए उन्हें दरबदर भटकना पड़ा।
1967 में कराची में बहुत बुरे हालात में एक होटल में किराए पर रहने पर मजबूर हुई। किराया चुकाने तक के पैसे ना रहे।
फांकाकशी के आलम में हिंदी फिल्मों को पहली डांसर देने वाली बेग़म अतिया फ़ैज़ी की 90 बरस की लंबी उम्र में ज़िंदगी से जद्दोजहद करते हुए गुमनामी में मौत हो गई।
बीवी से बेपनाह मोहब्बत करने वाले राहमीन फ़ैज़ी अपनी शरीके हयात की जुदाई बर्दाश्त ना कर सके । अगले साल वो भी चल बसे।
उन्होंने अपने पुराने घर में एक कला और साहित्यिक स्थान बनाया था। जिसका नाम उनके मुंबई निवास के नाम पर रखा था। उन्होंने वसीयत की थी कि इस मुकाम पर उनके शौहर के नाम से एक आर्ट म्यूजियम बनाया जाए।
उन दोनों की मौत के बाद उनका घर खुला था ताकि जायरीन उनके कला संग्रह को देख सकें।
पाकिस्तान सरकार द्वारा जब्त उनकी पुरानी 1990 के दशक तक क़ायम रही। फिर उसे तोड़ दिया गया।
कराची के मेयर ने वहां एक नई बिल्डिंग बनाने का एलान किया था। काम शुरू भी हुआ था। लेकिन पाकिस्तान सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च करना मुनासिब नहीं समझा। नतीजन बिल्डिंग अधूरी रह गई।
बहरहाल मेडम अतिया और उनके शौहर का ये म्यूजियम अब भी अधूरा खड़ा है।
सन 1998 में 91 बरस की उम्र में पाकिस्तान के रावलपिंडी में मेडम अजुरी ने भी आखरी सांसे लेकर इस मतलबी दुनिया को अलविदा कह दिया।
9340949476🤳
#javedshahkhajrana
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